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Wednesday 2 July 2014

अरे सुसरों को टैक्स क्यूँ दें ?

विजय कुमार घोटाले उर्फ़ विज्जू बमुश्किल गिरते पड़ते ग्रेजुएट बने पर बिज़नेस के गुण जल्दी सीख गए थे । सादा जीवन और ऊँचे विचार दूसरों पर प्रकट करते रहते हैं परंतु ख़ुद पर्दे के पीछे असल में ऊँचा जीवन और सादे विचारों के फ़ालोअर हैं । हाँ कुर्ता पजामा चकाचक सफ़ेद पहनते हैं और दो मोबाईल रखते हैं एक साधारण सा जिसमें हिन्दी अक्षर हों उससे बातचीत करते हैं और एक मंहगे से मंहगा जो यूहीं बस जेब में पड़ा रहता है क्यूँकि ज़रा अंग्रेज़ी में हाथ तंग है । एक गाड़ी महँगी रखते हैं और एक सस्ती । अगर आपने कभी गाड़ी माँग ली तो विज्जू भाई नाप तौल करेंगे की कौन सी गाड़ी दें और आपसे कितना फ़ायदा उठाएँ ।

विज्जू का साझी है लच्छू - लछमन दास घपले । दोनों एक ही गाँव के हैं, एक ही विचारों के हैं और दोनों जुगाड़ू हैं । लच्छू पीछे पीछे तो चल सकता है पर आगे नहीं इसलिए विज्जू को सूट करता है और कम्पनी सही चल रही है । करोड़ों में सेल पहुँच गई है ।  वैसे विज्जू ने बिज़नेस चलाने के बहुत ही सीधे सादे से नियम बना रखे हैं जैसे की: 

> पैसे कमाने हैं तो पहले पैसे ख़र्चो 
अरे भई इसे रिश्वत देना नहीं धंधा करना कहते हैं । अफ़सरों के लिए थैली का मुँह खुला रखते हैं और साईज़ ज़रूरत के अनुसार मुँह छोटा बड़ा कर लेते हैं । आजकल एक और फैकट्री खड़ी करने का प्लान बन रहा है । प्रशासन, सेल्स टैक्स विभाग, वक़ील, आरकीटेक्ट, सीए, बैंक वाले, प्रदूषण वाले, बिजली वाले सभी से सम्पर्क बना हुआ है । पहले विज्जू और फिर लच्छू मुलाक़ात कर आए हैं और सेवा में लग गए हैं । कहाँ से सब्सिडी मिलेगी, कहाँ ब्याज कम लगेगा आदि पर रिसर्च हो रही है । अफ़सरों से विज्जू और लच्छू अर्ज़ कर रहे हैं :

आप तो मालिक हो जी । कोई ईसकीम-विसकीम बताओ साब ज़रा सी बचत हो जावे । आप म्हारा फ़ायदा कराओ साब हम आपका फ़ायदा करेंगे जी । म्हारे काग़ज़ पूरी तसल्ली से देखो साब । आप तो अपनी फ़ाईल पक्की रक्खो जी । आपके उपर बात नई आणी चईए साब म्हारी वजा से । म्हारे को तो आपके चरणों में यहीं रहना है जी दो रोटी का जुगाड़ करणा है जी बालकां खातर । और आप जाणो क़ानून और सरकार का क्या है जी सरकारें तो सुसरी चलती रहवें । 

> धंधा कभी न रूकने दो
साम, दाम या भेद कुछ भी करना पड़े विज्जू और लच्छू दोनों 24 घंटे तैयार रहते हैं । परन्तु 'दंड' या डंडा विज्जू नहीं चलाते हैं क्यूँकि यह काम दूसरों से करवाना पड़ता है और इसलिए मंहगा पड़ता है और अगर पलटवार हो गया तो ?
विज्जू को कम्पनी के प्यादे ने ख़बर दी की प्रदूषण विभाग में फ़ाईल अटक गई है । 'वहाँ अफ़सर न तो पीसे लेवे न तो काम करै सो आपई निपटो सेठ जी' । 
पहले लच्छू को भेजा पर बात बनी नहीं ।
फिर विज्जू सेठ अफ़सर से बोले 'मालिक काम रुक ग्या जी म्हारा तो । लाखों के नीचे आ गए हम तो । कोई तो रस्ता निकालो साब जी । सेवा म्हारी क़लम आपकी मालिक' ।
वापिस आ कर फिर लच्छू से बोले 'भई यो सुसरा न माने । ऐसा कर ले की तू फटाफट प्रदूषण पलांट पूरा करा दे और कोई भी कमी न छोडे यो इंस्पेकशन करण भी आएगा । यो काम न रूकणा चईए भई लच्छू इस बेवकूफ की वजा से । '

> टैक्स देने से बचो 
विज्जू घोटाले और लच्छू घपले दोनों को ही टैक्सों से बड़ी एलर्जी है । 
'मेहनत करें रात दिन हम और इब ज़रा मरा फ़ायदा होण लाग्या तो यो सरकार सुसरी ने टैक्स थोप दिया ।'
दोनों अपने पास चुंगी, सेल्स टैक्स और इनकम टैक्स से सम्बन्धित छोटे बड़े अफ़सरों के फ़ोन नम्बर अपने मोबाइल में रखते हैं । उन्हें काफ़ी जानकारी थी की हर अफ़सर की कितनी पावर है छूट देने की या किश्तें बनाने की । साथ ही चपरासी और बाबुओं की चाय-पानी का भी ख़याल रखते हैं । ऐसा करने से वक्त बेवक्त फ़ाइल कुछ देर के लिए ग़ायब करने में सहूलियत मिल जाती है । मसलन जब सेल्स टैक्स देने का आँकड़ा 20-25 लाख के पास पहुँच गया तो किस ऊँचे अधिकारी से मिलें ताकी कुछ छूट मिल सके या किश्तें बनाई जा सकें और जब तक हाँ न हो फ़ाइल गायब । क्यूँकि बक़ौल विज्जू -

'मालिक काम तो आप कर रए तो कुछ फ़ायदा आपको हो या फिर हम कर रए तो फ़ायदा म्हारे को हो । कुछ म्हारे आपके बालकां का भला हो जाएगा । अरे इन सुसरों को टैक्स क्यूँ दें ?'

जुगाड़ 


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